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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2783
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के क्षेत्र, आवश्यकता एवं परिकल्पना के विषय में विस्तार से लिखिए।

उत्तर -

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का अर्थ है - गृह विज्ञान विषय सम्बन्धी ज्ञान को शिक्षण संस्थाओं की परिधि से बाहर निकालकर उन ग्रामीण बालिकाओं तथा महिलाओं के मध्य ले जाना जो कभी पाठशाला या स्कूल-कॉलेज न गईं हों अथवा जो किसी कारणवश औपचारिक शिक्षा से वंचित रह गईं हों।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की आवश्यकता

आजादी के बाद सन् 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम हेतु योजनाएँ बनाई व चलाई गईं। उसके बाद से ही गृह विज्ञान विषय को कई विश्वविद्यालयों तक कृषि विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध किया गया। तत्पश्चात् इस विषय को प्रसार शिक्षा से जोड़ा गया ताकि जो महिलाएँ किन्हीं न किन्हीं कारणों से औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त कर सकी हैं वे भी प्रसार शिक्षा के माध्यम से शिक्षित हो जाएँ। नई तकनीकों को अपना लें। नवीन उपकरणों का उपयोग, रखरखाव तथा मरम्मत करना सीख लें।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के माध्यम से गृहिणी को अनाजों का संचयन, फल सब्जी संरक्षण करना, अचार, जैम, जेली, पापड़ बनाना, साबुन बनाना, मोमबत्ती बनाना, चटाई बुनना, सिलाई-कढ़ाई-बुनाई करना, बच्चों का वैज्ञानिक ढंग से पालन-पोषण करना, बुजुर्गों की देखभाल करना, कम से कम धन खर्च करके परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति करना तथा उन्हें संतुलित, पौष्टिक एवं तृप्तिदायक भोजन उपलब्ध करवाना सिखाता है। गृह विज्ञान की छात्राएँ महिलाओं को रहन-सहन के तरीके सिखाती हैं, जिससे उनका जीवन तथा रहन-सहन के स्तर में सुधार होता है और उनका जीवन सुखमय होता है।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा, कृषि प्रसार शिक्षा की भाँति ही स्कूलों, कॉलेजों तथा प्रशिक्षण संस्थानों की चारदीवारी से बाहर, ग्रामीण स्त्रियों को उनके घरों, खेतों पर जाकर दी जाती है। उन्हें व्यावहारिक ज्ञान सिखाती है। बालकों की परवरिश किस तरह की जाए कि वे चरित्रवान नागरिक बनें। रोगी का आहार कैसा हो? कौन से रोग में कौन सा आहार वर्जित है और कौन सा उपयोगी? इन सभी बातों की जानकारी गृह विज्ञान की छात्राएँ तथा प्रसार कार्यकर्त्री ग्रामीणों के घर पर जाकर देती हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की आवश्यकता को अनुभव करते हुए तत्कालीन प्रसार शिक्षा कमिश्नर श्री वर्मा की यह उक्ति तर्क संगत प्रतीत होती है कि "समय की बड़ी माँग है कि गृह विज्ञान ग्रामीण मिट्टी से गहराई से जुड़े तथा ग्रामीण जीवन के दिल को छुए।" उनका मानना था कि गृह विज्ञान की छात्राएँ व शिक्षिकाएँ ग्रामीण स्त्रियों की आवश्यकताओं को भली भाँति समझ सकती हैं, इनकी समस्याओं को सुलझाने में मदद कर सकती हैं। श्रम व समय के बचत के उपकरणों का प्रयोग करना सिखा सकती हैं। ऊर्जा प्राप्ति के नवीन स्रोतों के बारे में जानकारी उपलब्ध करवा सकती हैं। जैसे सूरज की तेज धूप से सर्दी के मौसम में सोलर हीटर द्वारा पानी गर्म करना, सोलर चूल्हा पर खाना पकाना, सोलर लालटेन का प्रयोग करके रात्रि में रोशनी प्राप्त करना आदि क्योंकि सूरज की धूप हमें मुफ्त ही मिलती है, बस उपकरण खरीदने एवं उन्हें प्रयोग की जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता होती है जिसे वे गृह विज्ञानियों से प्राप्त कर सकती हैं। इसी प्रकार गोबर से कंडा न बनाकर इसका उपयोग गोबर गैस प्लांट में कर सकती हैं, जिससे उन्हें ऊर्जा के साथ ही खाद भी मिलती है। ऊर्जा का उपयोग खाना बनाने में तथा खाद का प्रयोग पैदावार बढ़ाने में किया जा सकता है।

गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की परिकल्पना

विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा शिक्षण संस्थानों में गृह विज्ञान विषय पढ़ाने की परिकल्पना तभी परिलक्षित हो गई थी, जब आजादी के बाद राजनेताओं ने ग्रामीण जीवन के उत्थान के बारे में सोचना प्रारंभ कर दिया था। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का कहना था कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। इसके अतिरिक्त ग्रामीणों के उत्थान के जो भी कार्यक्रम चलाए जाएँ, उसमें महिलाओं की भागीदारी को कदापि नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। तदनुसार गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं के पारिवारिक जीवन स्तर में सुधार लाने के जो प्रमुख मानदंड तैयार किये गये थे, वे निम्नानुसार थे- 

(1) स्वस्थ पारिवारिक जीवन के लिए जन स्वास्थ्य में सुधार के उपाय बताना।
(2) उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग तथा उनकी वृद्धि पर ध्यान देना।
(3) 'छोटा परिवार सुख का आधार' की परिकल्पना को साकार करने में सहयोग देना।
(4) कृषि उपज से प्राप्त अतिरिक्त आय को परिवार की उन्नति के लिए उपयोग करना।

(5) परिवार में प्रत्येक सदस्य के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक व आध्यात्मिक स्तर को ऊँचा उठाना।

(6) अनाज का उपयुक्त ढंग से भण्डारण ताकि वे सड़ने-गलने से बचे रहें। फलों व सब्जियों का संरक्षण करना।

(7) किसानों के जीवन स्तर में सुधार लाने हेतु उन्हें कृषि के अतिरिक्त अन्य कुटीर उद्योगों, यथा-मुर्गीपालन, रेशम के कीड़े से रेशम बनाना, गो-पालन, लाख उत्पादन, रसोई उद्यान आदि कुटीर उद्योगों की जानकारी देना। इससे वे खाली समय में अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं।

(8) बालकों की परवरिश वैज्ञानिक ढंग से करने के लिए प्रेरित करना ताकि वे कुपोषित न हों।

(9) परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति करना तथा उपलब्ध संसाधनों से पौष्टिक, स्वादिष्ट, संतुलित, स्वास्थ्यवर्द्धक तथा तृप्तिदायक भोजन उपलब्ध करवाना। मौसम के अनुकूल वस्त्रों का चयन करना।

(10) अपने परिवार, समाज, समुदाय एवं ग्राम के प्रति अपना उत्तरदायित्व समझना।

(11) किसानों के खेती करने के ढंग में सुधार लाना तथा नवीन यंत्रों का प्रयोग कर कृषि कार्य में उनकी मदद करना।

(12) वर्षों से चले आ रहे अंधविश्वासों, रूढ़िवादी मान्यताओं तथा कुरीतियों को दूर करना तथा स्वस्थ परम्पराओं के प्रति श्रद्धावनत हो उन्हें स्वीकारना।

उपरोक्त सभी मानदंडों को पूरा करने के लिए गृह विज्ञान की छात्राओं को प्रसार शिक्षा का ज्ञान कराना आवश्यक था ताकि वे ग्रामीण स्त्रियों से सम्पर्क स्थापित करें तथा उन्हें आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराएँ। ग्रामीण स्त्रियों को नई बातों की जानकारी देना, उन्हें अपनाने के लिए प्रेरित करना एक बड़ा ही कंठिन काम है क्योंकि वे आसानी से दूसरों की बातों को मानने के लिए तैयार नहीं होती हैं। उन्हें समझाना मुश्किल कार्य है। इसलिए गृह विज्ञान की छात्राओं को प्रशिक्षित किया गया ताकि वे ग्रामीण महिलाओं तक अपनी पहुँच बना सकें। वे 'जन कल्याण' तथा 'जन जागृति' में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
  2. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  4. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
  5. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
  7. प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
  8. प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
  9. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
  10. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
  11. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
  12. प्रश्न- सामुदायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक संगठन को परिभाषित करते हुए इसकी विभिन्न परिभाषाओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
  16. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
  18. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के दर्शन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  19. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- सामुदायिक विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत सामुदायिक विकास संगठन कितनी अवस्थाओं से गुजरता है?
  21. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  22. प्रश्न- सामुदायिक संगठन और सामुदायिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन और सामुदायिक क्रिया में अंतर बताइये।
  24. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के प्रशासनिक ढांचे का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
  27. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
  28. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइयें।
  29. प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
  30. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के क्षेत्र, आवश्यकता एवं परिकल्पना के विषय में विस्तार से लिखिए।
  31. प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
  32. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के बारे में बताइए।
  33. प्रश्न- राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) पर एक टिप्पणी लिखिये।
  34. प्रश्न- राष्ट्रीय सेवा योजना (N.S.S.) पर टिप्पणी लिखिये।
  35. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र संगठन का परिचय देते हुए इसके विभिन्न कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  37. प्रश्न- कपार्ट एवं गैर-सरकारी संगठन की विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण घटक की भूमिका निभाते हैं? विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  38. प्रश्न- बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली प्रमुख संस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- हेल्प एज इण्डिया के विषय में आप क्या जानते हैं? यह बुजुर्गों के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है? प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों व महत्व पर प्रकाश डालिये।
  41. प्रश्न- बाल विकास एवं आप (CRY) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों एवं मूल सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- CRY को मिली मान्यता एवं पुरस्कारों के विषय में बताइए।
  43. प्रश्न- बाल अधिकार का अर्थ क्या है?
  44. प्रश्न- बच्चों के लिए सबसे अच्छा एनजीओ कौन-सा है?
  45. प्रश्न- राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?
  46. प्रश्न- नेतृत्व से आप क्या समझते है? नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण कीजिये।
  47. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न प्रारूपों (प्रकारों) की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण की प्रमुख प्रविधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- कार्यस्थल पर नेताओं की पहचान करने की विधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- ग्रामीण क्षेत्रों में कितने प्रकार के नेतृत्व पाए जाते हैं?
  52. प्रश्न- परम्परागत ग्रामीण नेतृत्व की विशेषताएँ बताइये।
  53. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण को किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है?
  54. प्रश्न- नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं को बताइए।
  55. प्रश्न- नेतृत्व का क्या महत्व है? साथ ही नेतृत्व के स्तर को बताइए।
  56. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षक से आप क्या समझते हैं? एक नेतृत्व प्रशिक्षक में कौन-से गुण होने चाहिए? संक्षेप में बताइए।
  57. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  58. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  59. प्रश्न- विकास कार्यक्रम का अर्थ स्पष्ट करते हुए विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन में विभिन्न भागीदारों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- विकास कार्यक्रम चक्र को विस्तृत रूप से समझाइये | इसके मूल्यांकन पर भी प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- विकास कार्यक्रम तथा उसके मूल्यांकन के महत्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के प्रमुख घटक क्या हैं?
  63. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन की प्रक्रिया का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- अनुवीक्षण / निगरानी की विकास कार्यक्रमों में क्या भूमिका है? टिप्पणी कीजिए।
  66. प्रश्न- निगरानी में बुनियादी अवधारणाएँ और तत्वों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- निगरानी के साधन और तकनीकों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  68. प्रश्न- मूल्यांकन डिजाइन (मूल्यांकन कैसे करें) को समझाइये |
  69. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- निगरानी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- निगरानी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
  74. प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ और विशेषताएँ बताइये।
  75. प्रश्न- निगरानी और मूल्यांकन के बीच अंतर लिखिए।
  76. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों को समझाइये।

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